महताब कुटिया

ज़िंदगी गुलज़ार है जिसकी, वोह फ़क़ीर है |
बादशाह तो, रियासत की हिफाज़त में मसरूफ़ है |
चमकता सूरज, महल की तारेकी के आगे बेबस है |
और ये कुटिया तो, महताब से भी रोशन है |

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