भटका इंसान

परिभाषाएं जीवन की
कुछ यूं बदली हैं
प्यार की जगह
पैसे ने ली है ।

इंसान की जरूरत
बस दो रोटी की है
पर आजादी की जगह
बेड़ियों ने ली है ।

चक्रव्यू में
यूं फसा है
खुद को
दुनिया को सौंप आया है ।

आंखें मूंदकर
बस चल पड़ा है
अपने तेज से
अंजान रहा है ।

दुनिया तो
एक परछाई है
इस हकीकत से
आज (वो) जुड़ा है ।

अपनी राह
रचने का
यह मौका
अब नजर आया है ।

जीवन का
हर क्षण
फिर जिंदा
पाया है ।

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