संजोग का साथ
मिला वो संजोग से, जुड़ा वो परछाई से, ख्यालों में उसका साया है, पर हाथों में न आया है । खिला वो कांटो में, चुभा वो फूलो में, ले गया जान वो, बस छोड़ गया सांसें वो । जीता रहा बूंदों में, बीता समय जुगो में, बना तीव्र चाहत वो, पर बना न आदत वो । दिन हो न रात हो, सांझ की न चादर हो, उम्र भर का न वादा हो, बस मेरे चेहरे में, तुम्हारी मुस्कुराहट का साथ हो ।